कीमत से अगर तौलो तो, महँगे वो मिलेंगे,
जो लोग भीड़ का कभी हिस्सा नहीं बनते
जो तंग ज़मीं करने को समझे हैं हिफ़ाज़त,
बस शोर हीं बनते हैं, वो किस्सा नही बनते
मुझसे ना पूछ दोस्त मेरी सारी हक़ीक़त
कुछ राज़ छुपा रखे हैं, चर्चा नहीं करते
कब से बचा के रखी यहाँ दर्द की दौलत
बस ये हीं कमाई, जिसे खर्चा नहीं करते
शायद मेरे ईमान पर उनको भी यक़ीन है
आते हैं सामने तो वो परदा नहीं करते
कुछ लोग मुकम्मल बना भेजे हैं ख़ुदा ने
हम ऐसे बिना बात के सजदा नहीं करते
होगे तो खिलाड़ी बहुत हीं खूब तुम मगर
हम हारेंगे क्या खेल, जो खेला नहीं करते
रिश्तों में चन्द मोती समेटे हुए हैं "राख"
चुप छाप जी रहे, कोई मेला नहीं करते.
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