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Monday, 20 February 2017

चलो अल्फ़ाज़ के एक और नए दौर को देखें
नयी रंगत में आके रूप के साये को फिर देखें

चमकती रोशनी आती है पश्चिम की दिशाओं से
चलो एक बार हम भी धोती कुर्ता फिर पहन देखें

बड़ों से कुछ सवालों में निकल जाती है एक मुद्दत
समझ जब बात आती है तो गुज़रा वक़्त फिर देखें

समय ने दे दिया उत्तर अभी तक के मसाइल का
कहीं से फिर शुरू कर एक बचपन और हम देखें

वो तपती धूप और बारिश में हमको छांव देते थे
कभी चल उन दरख़्तों का अभी का हाल भी देखें

झुलसते वक़्त की आँधी बना दे "राख" ना मुझको
ज़रा रुक जायें थोड़ी देर इस सावन को फिर देखें।

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